Subject: Nepali
शब्दका अगाडी जोडिने व्युत्पादक भाषिक एकाइलाई उपसर्ग भनिन्छ| एउटै शब्दलाई दोहोर्याएर नयाँ शब्द बनाउने पढ़दतिलाई द्वित्व भनिन्छ| यस नोटमा उपसर्ग र द्वित्वको बारेमा व्याख्या गरिएको छ|
शब्दका अगाडी जोडिने व्युत्पादक भाषिक एकाइलाई उपसर्ग भनिन्छ| उपसर्गको आफ्नै स्वतन्त्र अर्थ नभए तापनि यो आधारपदमा जोडिएपछि यसले केही अर्थमा परिवर्तन ल्याउँछ, केही विशेषता घट्छ र केही पूर्व अर्थलाई नै राख्दछ|
उदाहरण: उप+हार= उपहार, आ+देश= आदेश, प्रति+एक= प्रत्येक
उपसर्गद्वारा शब्द निर्माण गर्नुहोस्:
अ= अ+हित = आहित |
अप= अप+ मान = अपमान |
अन्= अन्+ आदि = अनादि |
उप= उप + देश = उपदेश |
कु= कु+ पथ = कुपथ |
नि = नि+ डर = निडर |
बि= बि+ जोर = बिजोर |
उत्= उत् + थान उत्थान |
बे= बे+ कार = बेकार |
नि: = नि: + रस = नीरस |
बद= बद + नाम = बदनाम |
निस् = निस्+ सार = निस्सार |
गैर= गैर+ नाता = गैरनाता |
परा = परा + जय = पराजय |
ना= ना + दान = नादान |
निर्= निर्+ मोह = निर्मोह |
आ= आ + कार = आकार |
वि= वि+ कास = विकास |
अन= अन+ पढ = अनपढ |
दुर्= दुर्+ दशा = दुर्दशा |
अधि= अधि + कार = अधिकार |
परि= परि + वार = परिवार |
अनु= अनु + वाद = अनुवाद |
प्र= प्र + कार = प्रकार |
अभि= अभि + ताप = अभिताप |
बि= बि+ जोर = बिजोर |
अति= अति + शय = अतिशय |
सम्= सम्+ मान = सम्मान |
अव= अव + धान = अवाधान |
सु= सु+ कार्य = सुकार्य |
एउटै शब्दलाई दोहोर्याएर नयाँ शब्द बनाउने पढ़दतिलाई द्वित्व भनिन्छ| द्वित्व शब्दको निर्माण गर्दा कतै पूरै शब्द दोहोरिने, कतै अंश र कतै शब्दको ध्वनि परिवर्तन हुने गर्दछ|
उदाहरण: सानो+सानो= स-सानो, काट+काट= काटकुट
द्वित्वलाई निम्न तिन भागमा वर्गीकरण गरिएको छ|
१. पूर्ण द्वित्व
२. आंशिक द्वित्व
३. अपरिवर्तित द्वित्व
पूर्ण द्वित्व
जस्ताको तस्तै दोहोरिने कतै केही अंश पनि परिवर्तन नहुने प्रकियालाई पूर्ण द्वित्व भनिन्छ|
उदाहरण: घरघर, वनवन, मनमन आदि|
आंशिक द्वित्व
कुनै अंशमात्र दोहोरिएर नयाँ शब्द बन्ने प्रक्रियालाई आंशिक द्वित्व भनिन्छ|
उदाहरण: जजसको, आआफ्नो, ससानो आदि|
अपरिवर्तित द्वित्व
शब्दको पुनरावृति हुँदा ध्वनि वा अक्षर परिवर्तन भइ शब्दको हेरफेर भएर द्वित्व हुने प्रक्रियालाई अपरिवर्तित द्वित्व भनिन्छ|
उदाहरण: फटाफट, भनाभन, कुटाकुट आदि|
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